मंगलवार, 30 सितंबर 2008

मन्दिर, मन्नत और मौत

सैर के वास्ते सड़कों पे निकल आते थे, अब तो आकाश से भी पथराओ का डर होता है
पिछले कुछ महीनो से जिस तरह मंदिरों में हादसे हो रहे है उसे देख कर और सुन कर दिल काँप उठता है!
पहले हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मन्दिर में फिर कोटा के पास गेपरनाथ मन्दिर में और जोधपुर के चामुंडा
देवी मन्दिर में ये तो कुछ ऐसे बड़े हादसे है जिनको मीडिया ने काफी ज्यादा तवज्जो दिया! लेकिन इससे पहले भी समय समय पर देश के विभिन्न मंदिरों और धार्मिक अवसरों पर is तरह के हादसे होते रहे हैं और अभी भी
हो रहे हैं

रविवार, 28 सितंबर 2008

आजमगढ़- का से कहूं मै जिया की बतियाँ

आजमगढ़ एक बदनाम सा शहर जो इस वक्त अपने दामन पर आतंकवाद का दंस झेल रहा है अचानक एक दिन मेरे सपनो में आ गया और मुझसे कहने लगा की मेरे बारे में कुछ लिखो मैंने कहा महोदय आपका चरित्र और
ऐतिहासिक सम्पदा इतनी संपन्न और वृहद् है की आप के बारे में लिखना मुझ जैसे छोटे और निरीह लेखक केबस की बात नही, उसने फिर मुझसे कहा की कोई बात नही जब कोई नही लिख रहा है तो तू ही लिख मै तेरी आधी अधूरी लेखनी को बर्दास्त कर लूँगा! जब इतना कुछ हो गया तो मैंने कहा की चलो ठीक है मै कोशिश करता हूँ ! इसके बाद मैंने लिखना शुरू किया!
आजमगढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक जिला है जो महान धार्मिक नगर बनारस से ८० किलोमीटर दूर स्थित है
आजमगढ़ का एक उत्तम

तुम दिल्ली मत जइयो

अभी कल ही की तो बात है महरौली में धमाका हो गया मई दफ्तर में बैठा धमाके से जुड़ी जानकारी ले रहा था
तभी ख़बर आई की अभिषेक बच्चन ने अपने दिल्ली आने का प्रोग्राम कैंसल कर दिया है! दरसल अभिषेक को यहाँ अपनी फ़िल्म के प्रमोशन के लिए आना था लेकिन धमाकों की बात सुनते ही शहेंशाह के बेटे ने आननफानन में अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया ..और कहने लगे की तुम दिल्ली मत जइयो! देखिये अब इसमे बेचारे अभिषेक का भी क्या दोष इससे पिछली बार भी जब दिल्ली में धमाका हुआ था तब भी वो दिल्ली में ही थे उनके पिता जी के अनुसार वो धमाकों से बाल बाल बच गए अब इतना सब होने के बाद जाहिर तौर पर कोई भी डर जाएगा! अभिषेक जी को छोडिये बेचारी आस्ट्रेलियन क्रिकेट टीम की भी तो वही हाल है बेचारे काफी डरे सहमे है ! हा अगर कोई डरा नही है तो वो है हमारे नेता और हमारे यूपी , बिहार के भइया लोग , नेताओं को डर इसलिए नही है क्यों की सब उन्ही के भाई बंधू है है और भइया लोगों को डर इसलिए नही क्यों की उनके जान की कीमत न तो उनके नज़र में है और न ही सरकार के नज़र में

गुरुवार, 18 सितंबर 2008

आतंकियों के धमाके और बेचारी सरकार

पिछले दिनों दिल्ली में हुए सीरिअल ब्लास्ट ने एक बार फिर आतंकवाद को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है !
फिर वही ढेर सारे मुर्दा प्रश्न एक बार फिर अपने कब्र से बहार निकलकर लोगो की चर्चा के विषय बन गए हैं, जो कभी जयपुर, अहमदाबाद, बंगलोर , धमाकों के बाद अपनी कब्र में आराम कर रहे थे , अब तो ये प्रश्न भी लोगों की चर्चा का विषय बन कर उब चुके हें, लेकिन इन प्रश्नों का जवाब देने वाले हमारे सम्मानित नेता अपने रटे रटाए जवाबों से अभी तक नही ऊबे ! हर धमाकों के बाद एक ही प्रश्न और वही रटे रटाए जवाब आख़िर कब तक चलेगा ये , हमारे देश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां आख़िर कब चेतेंगी हमारे जन प्रतिनिधि जिनके ऊपर हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी है आख़िर कब जागेंगे और हमारे दर्द को कब महसूस करेंगे ! मुझे दुष्यंत कुमार की एक पंक्ति इस पर बड़ी सटीक लगती है ... धुप ये अटखेलियाँ हर रोज करती है , एक साया सीढियाँ चढ़ती उतरती हें
कौन शासन से कहेगा कौन समझेगा , एक चिडिया इन धमाकों से सिहरती है