शनिवार, 8 अगस्त 2009

घाटी में 'सच का सामना'

पिछले दिनों जम्मू कश्मीर की हसीं वादियों में 'सच का सामना' हुआ जिसकी गूँज पुरी घाटी में सुनाई दी! जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी दोनों ही पार्टियों ने 'सच का सामना' किया! पार्टी के विधायक विधानसभा में सच का सामना कर रहे थे , तो उनके समर्थक सड़कों पर पार्टी की नीतियों और संस्कारों की खुली नुमाइश कर रहे थे! पिछले दिनों जम्मू कश्मीर विधानसभा में जो कुछ भी देखने को मिला उसे सभ्य समाज का कोई भी व्यक्ति कहीं से भी सही नही ठहरा सकता और लोकतंत्र में यकीन रखने वालों के लिए तो ये किसी 'ब्लैक होल' घटना से कम नही! हलाकि भारत के राजनितिक परिदृश्य में इस तरह की घटना कोई नै नहीं है ! इतिहास पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुर्सी और लात घूंसे तक चले, उत्तर प्रदेश का गेस्ट हाउस कांड तो शायद ही कोई भुला हो, उडीसा विधानसभा में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला , महाराष्ट्र विधानसभा में भी विधायकों ने ऐसे ही संस्कार का परिचय दिया! खैर जो भी हो लेकिन जम्मू कश्मीर विधानसभा में जो कुछ भी हुआ उससे ज्यादा कहीं भी नही हो सकता! सबसे पहले पीडीपी नेता मुज़फ्फर अली बेग ने मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला पर २००६ के एक सेक्स स्कैंडल में शामिल होने का आरोप लगाया इसके बाद शुरू हो गया एक वोल्टेज ड्रामा ओमर अब्दुला ने एक सियासी चाल चलते हुए मुख्यमंत्री पद से सशर्त इस्तीफा दे दिया उनके इस्तीफा देते ही समर्थक सड़कों पर आ गए और हंगामा शुरू हो गया कई इलाकों में झड़पें हुईं ! इस घटना के एक दिन पहले महबूबा मुफ्ती ने स्पीकर के ऊपर माइक फेंक दिया था ! ओमर अब्दुल्ला के इस्तीफा देने के बाद शुरू हुआ बेशर्मियत का एक नया अध्याय नेशनल कांफ्रेंस के एक विधायक अहमद बुराजी ने पीडीपी नेता मुज़फ्फर बेग पर बेहद गंभीर आरोप लगाये बुराजी ने बकायदे १० प्रश्नों का एक आरोप पत्र तैयार कर के स्पीकर को दिया और स्पीकर ने भरी विधानसभा में उसे पढ़कर सुनाया और उसपर मुज़फ्फर बेग से सफाई मांगी जिसपर तिलमिलाए बेग ने स्पीकर के हाथ से लेकर वो पुरा आरोप पत्र फाड़ दिया और फाड़े भी क्यों न इस पत्र में बेग की ज़िंदगी से जुड़े कई निजी सवाल थे और साथ ही बेग के चरित्र पर कई इल्जाम लगाये गए थे ! आरोप पत्र में सवाल इतने घटिया ढंग के थे की स्पीकर को पढने में भी शर्म आ रही थी आरोप पत्र में यहाँ तक पुछा गया था की आप ने अपनी भतीजी के साथ सम्बन्ध बनाये ! अभी कुछ दिन पहले राज्य सभा में स्टार प्लुस के सीरियल 'सच का सामना' को लेकर काफी हंगामा हुआ और मांग की गई की सीरियल पर पाबन्दी लगे जाए ! सांसदों का आरोप था की सीरियल में पूछे जा रहे सवाल काफी घटिया और अश्लील हैं जिसका समाज पर ग़लत असर पड़ेगा , तो क्या विधानसभा जो प्रश्न बेग से पूछे गए उनका समाज पर अच्छा असर पड़ेगा ! बेग से पूछे गए प्रश्न तो सच का सामना के प्रश्नों के आगे कहीं टिकते ही नही ! जितने घटिया और अश्लील प्रश्न बेग से पूछे गए उतने घटिया प्रश्न तो अब तक सच का सामना में नही पूछे गए ! प्रश्न ये उठता है की क्या विधानसभा और संसद में अपनी मर्यादा को भूलकर स्तरहीन आचरण करने वाले नेताओं को कोई हक हैं की वो सच का सामना या इस जैसे किसी सीरियल का विरोध कर सके ! सच का सामना तो कम से कम एक मध्यम है जिसकी वजह से कुछ लोग सच को स्वीकार कर रहे हैं चाहे भले ही इसके पीछे कारन पैसा ही हो लेकिन हमारे पता नही हमारे जनप्रतिनिधियों को सच का सामना करने के लिए कब और कौन से माध्यम की ज़रूरत है